Description
📖 पुस्तक का सार:
“SANGHARSH” सिर्फ एक किताब नहीं — यह आपके अस्तित्व की परतें उघाड़ने वाला एक आध्यात्मिक औजार है।
यह वह ग्रंथ है जो आपको जीवन के बाहर की चुनौतियों से नहीं, भीतर के संघर्ष से सामना करने के लिए तैयार करता है।
Acharya Prashant, अपने विशिष्ट प्रश्नोत्तरी शैली में, पाठक को सीधे-सीधे कटघरे में खड़ा करते हैं — और पूछते हैं, “क्या तुम सचमुच जागे हो?”
यह किताब आपको सिखाएगी कि:
सच्चा संघर्ष बाहरी नहीं, अंदरूनी होता है, और उससे भागना नहीं, सामना करना ही मुक्ति है।
स्वयं से लड़ना सबसे बड़ी लड़ाई है — और उससे जीतना ही आत्म-विकास है।
अध्यात्म कोई मुलायम तकिया नहीं — यह क्रांति की पुकार है, वह आग है जो आत्मा को शुद्ध करती है।
सहजता, सुविधा और शांति के नाम पर जो भी झूठ है, इस पुस्तक में वह नंगा होता है।
असली अध्यात्म, किसी संस्था, परंपरा, या गुरु के नाम पर नहीं — स्वतः की आँखें खोलने से
होता है।
📚 मुख्य अध्यायों की झलक:
दूसरों से नहीं, अपने खिलाफ लड़ो
बेहोशी और नशे से मुक्त होने का साहस
संघर्ष की असली पहचान
भारत में पिछड़ापन – कारण और समाधान
“विवेकानंद और भगत सिंह” से सीखें संघर्ष का असली अर्थ
क्रांति से पहले शांति की चाहत मिथ्या है
शुद्ध आध्यात्मिक संघर्ष कैसे जिया जाए
वास्तविकता से भागना आत्म-विनाश है
इस पुस्तक में क्या मिलेगा?
✅ 24+ गहन अध्याय जो आपके सोचने के ढंग को जड़ से हिलाकर रख देंगे
✅ जीवन के बड़े प्रश्नों पर सीधी, निर्भीक और जाग्रत शैली में संवाद
✅ भगत सिंह, विवेकानंद, नेताजी जैसे विचारशील क्रांतिकारियों से जुड़े अद्वितीय दृष्टिकोण
✅ धार्मिक दिखावे से परे, वास्तविक आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा
✅ भीतर के अंधकार से लड़ने का साहस, दिशा और
साधन
यह किताब क्यों ज़रूरी है आज के युग में?
यदि आप:
जीवन में उलझे हैं, रोज़ संघर्ष कर रहे हैं लेकिन समझ नहीं पा रहे कि क्यों
सोचते हैं कि “सब कुछ होते हुए भी मन शून्य क्यों है?”
अहंकार बनाम आत्मा के द्वंद्व में फंसे हुए हैं
अध्यात्म को सिर्फ जप-तप की सीमा से बाहर जीना चाहते हैं
खुद को सच में जानना और बदलना चाहते हैं
तो “SANGHARSH” एक प्रारंभिक बिंदु है — एक ऐसी चिंगारी जो आपके भीतर आग
जला सकती है।
उद्धरण से झलक:
“ये मेरी बातें सिर्फ बातें नहीं हैं कि जिन्हें सुनकर तुम थोड़ी देर के लिए तनावमुक्त हो जाओ…
ये शांति से पहले क्रांति का आह्वान हैं – ये आंतरिक युद्ध का शंखनाद है।”
– आचार्य प्रशांत
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